कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाने की तकनीक झटका तकनीक


       बहुधा देखा गया है कि कक्षा में विद्यार्थी सक्रिय नहीं रहते हैं |  केवल अग्रिम पंक्ति में बैठने वाले कुछ ही छात्र शिक्षक की ओर ध्यान देते हैं जबकि अंतिम पंक्तियों में बैठने वाले छात्र अधिकांशतःशिक्षण के प्रति उदासीन रहते हैं|  इसका सबसे बड़ा कारण है कि शिक्षक केवल व्याख्यान विधि का प्रयोग करते हैं| जिससे कक्षा का माहौल नीरस बन जाता है| और छात्र शिक्षण अधिगम में रुचि नहीं ले पाते हैं| किसी भी देश का भविष्य और भाग्य कक्षा में निर्मित होता है | इसीलिए शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया एक मुख्य बिंदु है | इसके लिए शिक्षक, स्कूल प्रशासन तथा शासन की ओर से सतत प्रयास किए जा रहे हैं|
       शिक्षकों द्वारा पढ़ाया गया पाठ छात्र पूर्णतःआत्मसात कर सकें इसके लिए विभिन्न तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है| इन्हीं में से एक है झटका तकनीक जिसके माध्यम से कक्षा में कुछ नए प्रयोग कर विद्यार्थियों का ध्यान शिक्षक अपनी तरफ तथा ब्लैक बोर्ड की तरफ आकर्षित कर सकता है और कक्षा का माहौल नीरस होने से बचा सकता है|
        झटका तकनीक के उद्देश्य -झटका तकनीक का प्रयोग कक्षा में विद्यार्थियों को सक्रिय बनाने के लिए किया जा सकता है|  इसके माध्यम से अधिगम आनंददाई बन सकता है| कक्षा का वातावरण तनाव मुक्त हो सकता है| छात्रों की बौद्धिक क्षमता का विकास करना, छात्र एवं शिक्षक के बीच मधुर संबंध स्थापित करना ,छात्रों के अधिगम कौशल को समझने तथा कक्षा की नीरसता को तोड़ने में झटका तकनीक सहायक हो सकती है | 
       कक्षा शिक्षण में झटका देकर विद्यार्थियों को  सक्रिय करने के लिए शिक्षक विभिन्न उपकरणों का प्रयोग कर सकता है इनका चयन वह विषय वस्तु , उद्देश्य, लक्ष्य समूह  आदि के अनुरूप कर  सकता है  | झटका तकनीक के लिए कुछ विधियां इस प्रकार हैं जिनके माध्यम से कक्षा शिक्षण को सुगम बनाया जा सकता है |
       1 . दर्पण छवि लेखन Mirror  Image writing
       2.असंगत शब्द लेखन Disproportionate word writing
       3.  छोटा लेखन Short Writing
       4. डबल नकारात्मक वाक्य Double negative sentence
       5 . असामान्य वाक्य निर्माण Unusual Sentence
       6 .  तार्किक रूप से अतार्किक निष्कर्ष Illogical conclusions
       7. एकाधिक शब्दों का प्रयोग Multiple Words
       8.बेमेल  उदाहरण  Misfit Example
       9. शिक्षक की ग़लतियां Teacher's Mistake
       1. दर्पण छवि लेखन -शिक्षक इस विधि का प्रयोग कर कक्षा में सक्रियता बना सकता है क्योंकि दर्पण छवि लेखन में श्यामपट्ट पर लिखे हुए शब्द छात्रों को उल्टे दिखाई देंगे जिन्हें पढ़ने में उन्हें अधिक मानसिक शक्ति का प्रयोग करना पड़ेगा  |बहुदा कक्षा में जब अध्यापक श्यामपट्ट पर कार्य कराते हैं तो छात्र बिना पढ़े ,  बिना समझे केवल नकल उतार लेते हैं वे विषय -वस्तु के प्रति उदासीन रहते हैं!  ऐसी स्थिति में शिक्षक कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की तरफ छात्रों का ध्यान आकर्षित करने के लिए इस विधि का प्रयोग कर सकते हैं | इसके लिए शिक्षकों को स्वयं प्रशिक्षण प्राप्त करना आवश्यक है दर्पण छवि लेखन के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं|
   2. असंगत शब्द लेखन -  विज्ञापनों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार की शब्दावली का प्रयोग किया जाता है यह शब्दावली सामान्य से भिन्न होती है |इसी प्रकार एक है असंगत शब्द लेखन इसका प्रयोग शिक्षक भी अपने शिक्षण के समय कर सकता है | जिससे छात्र श्यामपट्ट पर ध्यान लगाने के लिए प्रोत्साहित हो जाते हैं | जैसे तिहास, व्यायाम , मोहन | 
     
         3. लघुलेखन - कक्षा में पीछे की पंक्तियों में बैठे छात्र अधिकतर उदासीनता प्रकट करते हैं शिक्षक उनका विशेष ध्यान रखते हुए श्यामपट्ट पर बड़ा-बड़ा लिखते हैं | जिसे वे बिना समझे और  बिना पढ़े आसानी से कॉपी पर उतार लेते हैं |  यदि श्यामपट पर शब्दों को इतना छोटा लिखा जाए कि एकदम सामने की बेंच पर बैठे छात्र भी सरलता से ना पढ़ सके  | तब छात्र अधिक सक्रिय होंगे | कुछ छात्र स्वयं पढ़ने की कोशिश करेंगे और कुछ शिक्षक से पूछेंगे इससे उनकी अधिगम क्षमता में सुधार आएगा | ऐसे समय उदासीन छात्र भी अपना ध्यान इस ओर आकर्षित करेंगे और शिक्षक से शब्दों के बारे में पूछेंगे  | जैसे जल संरक्षण का महत्व एवं पर्यावरण सुरक्षा |
       4. डबल नकारात्मकवाक्य -  प्रायः छात्र शिक्षक द्वारा पाठ का वाचन एवं व्याख्यान करते समय भी अपनी बातों में लगे रहते हैं  ,वह शिक्षण पर ध्यान नहीं देते | ऐसे समय में यदि शिक्षक कुछ दोहरे नकारात्मक वाक्यों का प्रयोग  करें जो सुनने में कुछ अटपटे लगते हैं तो छात्रों का ध्यान शिक्षकों की ओर केंद्रित होगा और वह वाक्यों को समझने की चेष्टा करेंगे -जैसे तुम दसवीं की परीक्षा में असफल नहीं रहोगे | मुझे नहीं लगता कि  तुम .पुस्तक नहीं लाओगे | हिंदी अरुचि कर नहीं है | 
  
      5.असामान्य वाक्यों का प्रयोग - कक्षा में शिक्षण के मध्य कुछ आसमान वाक्यों का प्रयोग करके भी विद्यार्थियों की एकाग्रता का स्तर ऊंचा किया जा सकता है यह शिक्षक  के लिए थोड़ा कठिन है किंतु अभ्यास से सरल हो सकता है | जैसे मुझे हिंदी पसंद है , किंतु अंग्रेजी ना पसंद नहीं है!  क्या यह स्पष्ट रूप से अस्पष्ट है | वह आस्तिक होकर भी नास्तिक है |

      6. तार्किक रूप से अतार्किक निष्कर्ष  - व्याख्या शिक्षण  का एक महत्वपूर्ण घटक है |  शिक्षक द्वारा प्रत्येक व्याख्या के अंत में एक निष्कर्ष कथन दिया जाता है | यह निष्कर्ष कथन सबसे महत्वपूर्ण  होता है  | छात्रों के लिए आवश्यक है कि वे इसे समझें और याद रखें लेकिन छात्र व्याख्या के स्पष्टीकरण तथा निष्कर्ष कथन में अंतर नहीं कर पाते , इसका मुख्य कारण है ,शिक्षक की भाषा जो व्याख्या तथा निष्कर्ष दोनों में समान होती है यदि illogical conclusion को correct Explanation के आधार पर वर्णित करें तो जो छात्र कक्षा में बिल्कुल नहीं बोलते वह भी आश्चर्यजनक रूप से बोलने लगेंगे |  "छात्र कहेगें यह निष्कर्ष सही नहीं है |" इस अवसर को गवाएं बिना शिक्षक छात्रों से सही निष्कर्ष पूछे | न बताने पर सही निष्कर्ष शिक्षक द्वारा बता दिया जाना चाहिए |               
     7. एकाधिक शब्दों का प्रयोग- प्राय: कक्षा में पढ़े गए पाठ की भाषा छात्रों की समझ में नहीं आती इस समस्या के समाधान के लिए multiple word अर्थात समान अर्थ वाले दूसरे शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है  | यह शब्द अंग्रेजी , हिंदी , उर्दू ,गुजराती या अन्य किसी भाषा के हो सकते हैं  | इनमें से कुछ शब्द अवश्य छात्रों के दिमाग पर प्रहार करेंगे  ,जिससे उनकी समझ में सुधार होगा | जैसे अच्छे स्वास्थ्य के लिए इन्वायरमेंट या वातावरण का होना आवश्यक है |  कंपनी में प्रयुक्त मशीनों का विश्वसनीय या भरोसेमंद होना आवश्यक है |           
    8. बेमेल उदाहरण  - शिक्षक , अधिगम को सरल बनाने के लिए विभिन्न उदाहरणों का प्रयोग करते हैं ताकि कक्षा के भिन्न योग्यता वाले छात्र भी समझ सके लेकिन होता इसके विपरीत है छात्रों को पुस्तक में दिए गए उदाहरणों में कोई रूचि नहीं होती और कक्षा का वातावरण नीरस बना रहता है  |कक्षा की इस नीरसता को दूर करने के लिए शिक्षक को बेमेल उदाहरणों का प्रयोग करके देखना चाहिए | जो छात्र कक्षा में प्रतिक्रिया नहीं देते हैं वह भी सक्रिय हो जाएंगे |  यह प्रयोग कुछ समय के लिए ही किया जा सकता है ताकि छात्रों की समझ का परीक्षण किया जा सके | 
     
   9. शिक्षकों की गलतियां-शिक्षकों को ज्ञान का भंडार माना जाता है| छात्र समझते हैं कि हमारा शिक्षक कोई गलती नहीं कर सकता इसलिए वे, शिक्षक जो बोलता है वह सुनते हैं और लिखते चले जाते हैं  | शिक्षक छात्र को सक्रिय और जागरूक रखने के लिए जानबूझकर कुछ गलती कर सकते हैं| जो छात्र कक्षा में सक्रिय रहते हैं वे तुरंत इशारा करेंगे इससे अन्य विद्यार्थी भी सक्रिय हो जाएंगे  | इस प्रकार शिक्षक छात्रों से प्रश्न कर सकता है कि ऐसा क्यों नहीं हो सकता  | छात्रों के उत्तर से शिक्षक को फीडबैक मिल सकता है |  यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि छात्रों का ध्यान  शिक्षक की गलती पर नहीं जाता है तो उसे स्वयं इस ओर ध्यान दिलाना चाहिए यदि छात्र नहीं बता पाए तो स्वयं को समझाना चाहिए इससे विद्यार्थियों को सक्रिय अधिगमकर्ता बनाने के साथ-साथ उनमें समीक्षात्मक चिंतन कौशल विकसित करने में सहायता मिलेगी  |
        
 निष्कर्ष -अधिकांश शिक्षक झटका तकनीक आजमाएं बिना छोड़ देंगे लेकिन यदि कोशिश करने और कुछ नया करने से छात्रों के अधिगम में वृद्धि होती है और कक्षा का वातावरण हल्का होता है तो प्रयोग करके देखना चाहिए मेरा ऐसा विश्वास है कि शिक्षक और छात्र दोनों ही इससे अवश्य लाभान्वित होंगे | 
      हर काम की अधिकता गलत है लेकिन विवेकपूर्ण ढंग से प्रयोग कर अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं |





Comments

  1. I do not agree with the way these techniques are said to be incorporated. First of all the term jhatka or jerk has negative connotation.It is as if a student who sleeps through a mundane lesson is shaken out of his/ her reverie by a jerk. There is absolutely no talk about linking these "jerks" to the context of the lesson taught. Why not have activities as energizers or pre task ice breakers to arrest the attention of the students?

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