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हिंदी भाषा : विविध प्रयोग BHDLA 135

अध्याय 1   भाषा तत्व और बोधन    1 -हिंदी की लिपि और वर्तनी का परिचय 2- हिंदी की ध्वनियां 3- हिंदी का प्रयोजनमूलक स्वरूप 4- विज्ञान के विषय का बोधन  संस्कृति विषय का बोधन और शब्दकोश का उपयोग  समाज विज्ञान विषय का बोधन और निबंध रचना का परिचय  भाषण शैली  अध्याय 2  वाचन और विविध विषय   सामाजिक विज्ञानों की भाषा( इतिहास के संदर्भ में ) तथा वर्तनी के कुछ नियम सामाजिक विज्ञानों की भाषा ( राजनीति विज्ञान)  तथा शब्द रचना  मानविकी की भाषा  (ललित कला ) तथा विशेषण  विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी की भाषा तथा पारिभाषिक शब्द  विधि एवं प्रशासन की भाषा तथा पारिभाषिक शब्द और अर्थ  वाणिज्य की भाषा तथा पारिभाषिक शब्द अध्याय 1 हिंदी की लिपि और वर्तनी का परिचय प्रस्तावना  भाषा और लिपि  लिपि के फायदे लेखन की विधि  देवनागरी लिपि  वर्णों का मानक रूप  देवनागरी लिपि के लेखन की सामान्य कठिनाइयां  वर्तनी  वर्तनी के कुछ नियम  हिंदी की लिपि और वर्तनी का मानकीकरण रूप  सारांश प्रस्तावना प्रत्येक भाषा...

शिक्षा में समावेशन प्रणाली और विद्यालय प्रबंधन समिति की भूमिका

"शिक्षा में समावेशी करण का अर्थ है विशेष शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक सामान्य छात्र और एक अशक्त या दिव्यांग छात्र को समान शिक्षा प्राप्ति का अवसर प्रदान करना और सीखने तथा सिखाने की प्रणाली में इस प्रकार अनुकूलन किया जाना ,कि विभिन्न प्रकार की दिव्यांगता वाले विद्यार्थियों की अधिकतमआवश्यकताएं पूरी की जा सकें ।"  वास्तव में समावेशी शिक्षा या एकीकरण के सिद्धांत की ऐतिहासिक जड़े कनाडा और अमेरिका से जुड़ी है । जो अब भारत में भी सिर उठाने लगी है अब जब प्राचीन शिक्षा नीति का स्थान नई शिक्षा नीति नें ले लिया है तब समावेशी शिक्षा की आवश्यकता का अनुभव होने लगा है।  यह शिक्षा विशेष विद्यालय या कक्षा को स्वीकार नहीं करती तथा अशक्त बच्चों को सामान्य बच्चों से अलग करना नहीं मानती । इन बच्चों को भी सामान्य बच्चों की तरह शैक्षिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार है जिससे वह समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें । इसके तहत स्कूलों  में पठन-पाठन के अतिरिक्त दिव्यांग बच्चों के लिए बाधा रहित वातावरण का निर्माण किया जाता है शिक्षा की इस नवीन प्रणाली से हाशिए पर के वे बच्चे लाभान्वित ...

प्रयोजनमूलक हिंदी संभावनाएं और प्रमुख आयाम

वर्तमान सदी में साहित्यिक हिंदी के अतिरिक्त हिंदी का एक अपेक्षाकृत नवीन रूप उभर कर सामने आ रहा है जिसे प्रयोजनमूलक हिंदी की संज्ञा दी गई है | हिंदी भाषा को राजभाषा के पद पर सही रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए इस प्रयोजनमूलक हिंदी को अधिक समृद्धशाली और व्यापक बनाने की आवश्यकता है|  प्रयोजनमूलक हिंदी के लिए कामकाजी हिंदी तथा व्यवहारिक हिंदी आदि शब्दों का भी प्रयोग किया जा रहा है । प्रशासन से संबंधित कार्य व्यापारो के लिए इन शब्दों का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है ।इस प्रकार वर्तमान में हिंदी के दो रूप देखे जा सकते हैं ।     1.    साहित्य रूप जिस की परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है तथा जिसने  भाव और अभिव्यक्ति की अनेक शैलियों एवं पद्धतियों को विकसित किया है हिंदी का यह रूप अत्यंत समृद्ध एवं संपन्न है ।      2       हिंदी का दूसरा रूप जिसे प्रयोजनमूलक हिंदी कहा जाता है अपेक्षाकृत नवीन है । प्रयोजन मूलक हिंदी का अर्थ है किसी विशेष प्रयोजन के लिए उपयोग करना । यह हिंदी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण रूप है क्योंकि यह जीवन की विवि...

महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध

सशक्तिकरण से तात्पर्य किसी  व्यक्ति की उस क्षमता से है जिससे उसमें यह योग्यता आ जाती है जिससे वह अपने जीवन से संबंधित सभी निर्णय स्वयं ले सकें | जहां तक महिला सशक्तिकरण की बात है , महिलाओं में भी वह क्षमता होना जहां वह परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता स्वयं हो ,उनके ऊपर किसी प्रकार का दबाव ना हो महिला सशक्तिकरण है  | "जहां नेहरू जी ने कहा था ,कि लोगों को जगाने के लिए महिलाओं का जागृत होना आवश्यक है , एक बार जब वह अपना कदम उठा लेती हैं तब परिवार आगे बढ़ता है ,गांव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है "| "वही गांधी जी ने कहा था ,कि एक पुरुष को शिक्षित करने से केवल एक व्यक्ति शिक्षित होता है , जबकि एक महिला के शिक्षित होने से पूरा परिवार शिक्षित होता है | जब महिला शिक्षित होगी तभी वह सशक्त होगी | महिला सशक्तिकरण के इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को सशक्त करना  | उनके प्रति बढ़ते अपराध और हिंसा को पूर्ण रूप से समाप्त करना और यह तभी संभव है जब समाज  की राक्षसी सोच खत्म होगी ,...

कक्षा 9 हिंदी बी प्रथम पाठ दुख का अधिकार

लेखक के बारे में        प्रस्तुत पाठ के लेखक हिंदी के महान कहानीकार यशपाल जी है |उनका जन्म फिरोजपुर छावनी में सन् 1903 में हुआ | यशपाल विद्यार्थी काल से ही क्रांतिकारी गतिविधिय...

2022 का भारत संभावनाएं और चुनौतियां

वर्ष 2022 के भारत की संकल्पना एक ऐसे भारत के रूप में की जा सकती है जहां कोई भी भारतवासी रोगी ना हो ,खुश हो ,संतुष्ट हो ,भ्रष्टाचार से मुक्त हो , आतंकवाद के भय से आजाद हो | वास्तव में हमारे देश की प्रगति हमारे स्वास्थ्य मानसिक संतुलन तथा खुशहाली पर निर्भर है | जिसके लिए देश निरंतर प्रयासरत् है |2019 का भारत 1950 के भारत से बहुत भिन्न प्रतीत होता है ,आज देश ने कृषि क्षेत्र में बहुत अच्छी प्रगति की है कृषि के अतिरिक्त जीवन के अन्य क्षेत्रों को भी नियोजन से लाभ पहुंचा है |शैक्षिक सुविधाओं का विस्तार हुआ है | स्कूलों कालेजों और विश्वविद्यालयों की संख्या काफी बढ़ गई है | साक्षरता का प्रतिशत भी काफी बढ़ गया है | चिकित्सकीय सुविधाएं भारत के दूरस्थ क्षेत्रों में पहुंच गई हैं | औद्योगिकरण के कारण भारत अनेक चीजों के बारे में आत्मनिर्भर होता जा रहा है | बहुत सी बहुउद्देशीय परियोजनाओं की स्थापना भारत के लिए वरदान साबित हुई है वाहन और यातायात के साधनों में क्रांति आई है जो यात्रा दिनों और महीनों में पूरी होती थी , आज मिंटो और घंटों में पूरी हो जाती है इन्हीं सब कारणों से भारत ने अपने को विकसित की ...

कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाने की तकनीक झटका तकनीक

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       बहुधा देखा गया है कि कक्षा में विद्यार्थी सक्रिय नहीं रहते हैं |  केवल अग्रिम पंक्ति में बैठने वाले कुछ ही छात्र शिक्षक की ओर ध्यान देते हैं जबकि अंतिम पंक्तियों में बैठने वाले छात्र अधिकांशतःशिक्षण के प्रति उदासीन रहते हैं|  इसका सबसे बड़ा कारण है कि शिक्षक केवल व्याख्यान विधि का प्रयोग करते हैं| जिससे कक्षा का माहौल नीरस बन जाता है| और छात्र शिक्षण अधिगम में रुचि नहीं ले पाते हैं| किसी भी देश का भविष्य और भाग्य कक्षा में निर्मित होता है | इसीलिए शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया एक मुख्य बिंदु है | इसके लिए शिक्षक, स्कूल प्रशासन तथा शासन की ओर से सतत प्रयास किए जा रहे हैं|        शिक्षकों द्वारा पढ़ाया गया पाठ छात्र पूर्णतःआत्मसात कर सकें इसके लिए विभिन्न तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है| इन्हीं में से एक है झटका तकनीक जिसके माध्यम से कक्षा में कुछ नए प्रयोग कर विद्यार्थियों का ध्यान शिक्षक अपनी तरफ तथा ब्लैक बोर्ड की तरफ आकर्षित कर सकता है और कक्षा का माहौल नीरस होने से बचा सकता है|       ...